इंडक्शन मोटर क्या है ? संरचना और कार्य

नमस्कार दोस्तों; आप इंडस्ट्रीज में जयादातर मोटर देखते होंगे , जैसे की हमारा कंप्रेसर , फैन , पंप इत्यादि जितना भी हैवी मशीनरी होता है उसमे मोटर होता ही है। 

लेकिन अलग अलग अनुप्रयोग के लिए अलग अलग मोटर का उपयोग किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है इंडस्ट्रीज सबसे जयादा उपयोग कौन सा मोटर का किया जाता है !

आप जयादातर इंडस्ट्रीज में इंडक्शन मोटर देखते होंगे , इसीलिए आज हम इस आर्टिकल में इंडक्शन मोटर क्या है , इंडक्शन मोटर के संरचना और इंडक्शन मोटर कैसे काम करता है ये जानेंगे। 

 

तो आईये विस्तार से समझते है –

इंडक्शन मोटर क्या है ?

इंडक्शन मोटर को एसिंक्रोनस मोटर के नाम से भी जाना जाता है , ये एक एसी इलेक्ट्रिक मोटर होता है जिसमे टार्क इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन द्वारा प्राप्त किया जाता है जो स्टेटर वाइंडिंग के मैग्नेटिक फील्ड से मिलता है।

इसीलिए आप ऐसा भी इंडक्शन मोटर देखते होंगे जिसमे रोटर बिना विद्युत कनेक्शन का होता है। आमतौर पर इंडक्शन मोटर में दो प्रकार के रोटर होते है एक वाउन्ड टाइप और दूसरा स्क्विरेल्ल केस टाइप। 

इंडस्ट्रीज में जयादातर थ्री फेज इंडक्शन मोटर जिसमे squirrel केस रोटर होता है उसका उपयोग किया जाता है क्योंकि ये सेल्फ स्टार्टर , इकोनोमिकल और रिलाएबल होते है।

वही घरेलु उपयोग के लिए जयादातर सिंगल फेज इंडक्शन मोटर का उपयोग किया जाता है जो कम लोड के लिए उपयोगी होता है।

आजकल इंडस्ट्रीज में इंडक्शन मोटर का उपयोग बढ़ते ही जा रहा है जैसे सेन्ट्रीफ्यूगल फैन , पंप कंप्रेसर इत्यादि। 

इसीलिए जयदतर इंडक्शन मोटर का उपयोग वेरिएबल फ्रीक्वेंसी ड्राइव (VFD) के साथ किया जाता है जिससे की आसानी से टार्क को नियंत्रित्र करके एनर्जी सेविंग किया जा सकता है। 

 

इंडक्शन मोटर के इतिहास

सन 1885 में गैलीलियो फेरारिस और निकोला टेस्ला एक मोटर मॉडल पर कम कर रहे थे। उसके बाद दोनों ने 1887 में अल्टेरनेटिंग करंट कम्यूटेटर फ्री थ्री फेज इंडक्शन मोटर का प्रदर्शित किया।

सन 1887 के अक्टूबर नवंबर महीने में टेस्ला ने अमेरिकी पेटेंट के लिए आवेदन किया और मई 1888 में इनमें से कुछ पेटेंट प्रदान किए गए। इसीलिए इंडक्शन मोटर का अविष्कार सन 1888 माना जाता है। 

 

इंडक्शन मोटर के घटक

इंडक्शन मोटर के मुख्यतः पांच घटक होते है,जो की इस प्रकार से है –

1.स्टेटर ( Stator )

इंडक्शन मोटर में स्टेटर स्थिर भाग होता है जो रोटर के साथ सहभागिता के लिए एक घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र प्रदान करता है। 

स्टेटर के अंदर एक या एक से अधिक कॉपर वाइंडिंग होता है जो पोल बनता है , जिससे की जब इलेक्ट्रिक करंट फ्लो होता है तो परिणामस्वरूप एक घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। आमतौर पर इंडक्शन मोटर में पोल की संख्या सम में होती है। 

2.रोटर ( Rotor )

रोटर इंडक्शन मोटर के बिच का घटक होता है जो शाफ़्ट से फिक्स्ड होता है। आमतौर पर रोटर ताम्बे या एलुमिनियम स्ट्रिप्स से बना होता है। 

जब स्टेटर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है तो ये चुंबकीय क्षेत्र रोटर में करंट को प्रेरित करता है जिससे की रोटर अपना चुंबकीय क्षेत्र बनता है और स्टेटर और रोटर के बिच सहभागिता के परिणामस्वरूप रोटर यांत्रिक टार्क उत्पन्न करता है।

इंडक्शन मोटर में रोटर सामान्यतः दो प्रकार के होते है –

  • वाउन्ड टाइप ( Wound Type )और 
  • स्क्वीररेल -केज टाइप ( Squirrel-Case Type )

वाउन्ड टाइप ( Wound Type )

वाउन्ड टाइप रोटर को स्लिप रिंग रोटर भी कहा जाता है जिसमे रोटर वाइंडिंग को स्लिप रिंग के द्वारा बाहरी प्रतिरोध से जोड़ा जाता है।

इसमें खास बात ये होती है की प्रतिरोध को समायोजित करने से मोटर की टार्क को आसानी से  नियंत्रित किया जा सकता है।

स्क्वीररेल – टाइप  रोटर के तुलना में जयादा वाइंडिंग टर्न होता है जिससे की प्रेरित वोल्टेज जयादा और करंट कम होता है। 

स्क्वीररेल -केज टाइप ( Squirrel-Case Type )

इसमें स्टील लेमिनेशन का सिलिंडर होता है जिसकी सतह पर एलुमिनियम या फिर ताम्बे के कंडक्टर लगे होते है।

इंडस्ट्रियल उपयोग में स्क्वीररेल -केज टाइप बहुत लोकप्रिय है क्योंकि ये 1 किलोवाट से कम से लेकर 10000 हॉर्स पावर के आकार में उपलब्ध है। 

इसमें खास बात ये होती है की ये सरल और सेल्फ स्टार्टर होता है और कम लोड और फुल लोड पर भी  स्थिर गति बनाए रखता है। 

3.शाफ़्ट ( Shaft )

इंडक्शन मोटर का शाफ़्ट रोटर के साथ फिक्स होता है , जो की केसिंग के बहार तक होता है।  शाफ़्ट आमतौर पर घूर्णी शक्ति संचारित करने का काम करता है। 

4.बियरिंग्स ( Bearings )

इंडक्शन मोटर में रोटर शाफ़्ट और केसिंग के दोनों छोर पर बियरिंग्स होता है , जो घर्षण को कम करता  हैं जिससे मोटर की दक्षता बढ़ जाती है। 

5.केसिंग ( Casing )

केसिंग के अंदर इंडक्शन मोटर के सभी घटक होते है और मोटर हीट न हो इसीलिए मोटर भागों के वेंटिलेशन की अनुमति देता है।

इंडक्शन मोटर कैसे काम करता है ?

जब अल्टेरनेटिंग करंट इंडक्शन मोटर के स्टेटर को सप्लाई की जाती है तो स्टेटर घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। 

सिंक्रोनस मोटर का रोटर स्टेटर फील्ड के समान दर से घूमता है , लेकिन इंडक्शन मोटर में रोटर स्टेटर फील्ड से धीमी गति से घूमता है।

इसीलिए इंडक्शन मोटर का स्टेटर का चुम्बकीय क्षेत्र रोटर के सापेक्ष में बदलता रहता है।

ये घूर्णन चुंबकीय क्षेत्र रोटर के साथ जब सहभागिता करता है तो रोटर में करंट को प्रेरित करता है जिससे की दो चुम्बकीय क्षेत्रों में परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप टार्क उत्पन्न होता है और रोटर मोटर केसिंग के अंदर घूमने लगता है।

  

इंडक्शन मोटर के लाभ

  • इंडक्शन मोटर का निर्माण काफी सरल होता है 
  • इंडक्शन मोटर यांत्रिक रूप से काफी मजबूत होता है। 
  • DC मोटर के अपेक्षा इंडक्शन मोटर सस्ते होते है क्योंकि इसमें ब्रश, स्लिप रिंग और कम्यूटेटर नहीं होते हैं।
  • इसमें ब्रश नहीं होता है इसीलिए स्पार्क और शार्ट सर्किट का भी चान्सेस कम रहता है जिससे की आसानी से hazardous कंडीशन में संचालित किया जा सकता है। 
  • इसका फुल लोड पर भी काफी अच्छा एफिशिएंसी होता है। 
  • इसमें वियर एंड टेअर का भी चान्सेस बहुत कम होता है जिससे की मेंटेनेंस कॉस्ट बहुत कम आता है।

 

इंडक्शन मोटर के हानि

  • सिंगल फेज इंडक्शन मोटर में सेल्फ स्टार्टर नहीं होता है। 
  • कम लोड पर इसका पावर फैक्टर कम हो जाता है। 
  • इसमें स्पीड कण्ट्रोल थोड़ा मुश्किल होता है। 
  • इसमें शुरुवात में बहुत कम टार्क होता है इसीलिए हैवी टार्क अनुप्रयोग के लिए उपयोगी नहीं होता है। 
 
 
Conclusion: दोस्तों आज हमने इंडक्शन मोटर क्या है , इंडक्शन मोटर के घटक और इंडक्शन मोटर कैसे काम करता है समझा।
यदि इंडक्शन मोटर से सम्बंधित कोई और प्रश्न या सुझाव हो तो हमारे साथ जरूर शेयर करे।
और हाँ दोस्तों आज का आर्टिकल कैसा लगा कमेंट कर के जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करे।
 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *