ETP क्या होता है ? ETP प्रक्रिया और लाभ

नमस्कार दोस्तों ; एक डाटा के अनुसार दुनिया में 60 – 70 % जल प्रदषूण का कारण इंडस्ट्रीज से निकला हुआ गन्दा पानी है।

इंडस्ट्रीज में इतना अपशिष्ट पानी में बिभिन्न प्रकार के अशुद्धियाँ होती है जैसे की केमिकल इंडस्ट्रीज के अपशिष्ट पानी में आयल और ग्रीस , फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्रीज के अपशिष्ट पानी में साइनाइड हो सकता है।

और ये जो अपशिष्ट पानी नदी में या फिर कही खुले वातावरण में छोर दिया जाता है।

लेकिन कुछ इंडस्ट्रीज ऐसे भी है जो ये अपशिष्ट पानी को एकत्रित करके उसे साफ करके उपयोग में लेते है।

सामान्यतः इंडस्ट्रीज में अपशिष्ट पानी को एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट के द्वारा साफ किया जाता है।

इसीलिए आज हम इस आर्टिकल में एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट क्या है ? एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट का प्रोसेस क्या है और एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट का क्या लाभ है ? समझेंगे। 

 

तो आईये विस्तार से समझते है –  

 

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ETP का फुल फॉर्म क्या है ?

ETP का फुल फॉर्म एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट ( Effluent Treatment Plant ) होता है

ETP का हिंदी में फुल फॉर्म क्या होता है ?

ETP को हिंदी में अपशिष्ट उपचार प्लांट कहा जाता है। 

ETP क्या है ?

ये एक अपशिष्ट उपचार प्लांट होता है , इस प्लांट के माध्यम से अपशिष्ट पानी और बेकार पानी को शोधन कर के पानी को पुन: उपयोग किया जा सकता है या साफ सफाई या गार्डनिंग के काम में आसानी से उपयोग किया जा सकता है।

ETP का उपयोग जयादातर आपको इंडस्ट्रीज में देखने को मिलेगा जैसे की  केमिकल प्लांट , बेवरेज प्लांट , शुगर प्लांट , पेट्रोलियम, रिफाइनिंग प्लांट , टेक्सटाइल्स मिल्स ,पेपर मिल्स,फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्रीज इत्यादि।

आमतौर पर हमारे इंडस्ट्रीज में बहुत जयादा केमिकल , पेट्रोलियम पदार्थ ,पेपर , प्लास्टिक इत्यादि अपशिस्ट पदार्थ का उपयोग किया जाता है जिससे की इंडस्ट्रीज का पानी बहुत दूषित हो जाता है जिसे इंडस्ट्रीज में कही एक जगह एकत्रित किया जाता है।

क्योंकि ये पानी इतना गन्दा और स्मेल्ली होता है की इसका उपयोग हम ना तो साफ सफाई के लिए कर सकते है और ना ही हम उसे गार्डनिंग या बाहर कही खुले वातावरण में छोर सकते है।

वैसे तो अलग अलग शहर और राज्य में इंडस्ट्रीज का अपशिष्ट पानी को साफ करने के लिए अलग अलग नियम और अधिनियम होते है , लेकिन जयादातर उद्योगपति मानते नहीं है या फिर उन्हें ये नियम और अधिनियम का पालन करना मुश्किल होता है। 

लेकिन जो बड़े बड़े इंडस्ट्रीज या प्रतिष्ठित इंडस्ट्रीज होते है उसमे आजकल जयादातर एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगा होता ,  एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट के द्वारा पानी को साफ करके उसे पुन: उपयोगी बनाया जा सकता है या उत्पादन प्रक्रिया में भी उपयोग किया जा सकता है।

जिससे की पानी को उत्पादन को कम किया जा सकता है और संचालन लागत में भी बचत किया जा सकता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण है बैटरी के मैन्युफैक्चरिंग में। 

 

एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्रोसेस ( ETP Process)

एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्रोसेस अलग अलग  इंडस्ट्रीज और अपशिष्ट पर निर्भर करता है , लेकिन जो सामन्यतः एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्रोसेस होता है वो इस प्रकार से है-

  • प्रिलिमिनरी ट्रीटमेंट 
  • प्राइमरी ट्रीटमेंट
  • सेकंडरी ट्रीटमेंट और 
  • एडवांस्ड या डिसइंफेक्शन ट्रीटमेंट

 

प्रिलिमिनरी ट्रीटमेंट ( Preliminary Treatment )

इस ट्रीटमेंट में बड़े बड़े आकार वाले दूषित पदार्थों को अलग किया जाता है जैसे की लकड़ी , प्लास्टिक , कपडा , पेपर , प्लास्टिक बॉटल्स इत्यादि। 

प्रिलिमिनरी ट्रीटमेंट में आमतौर ये ट्रीटमेंट प्रक्रिया शामिल है जैसे की –

छनन ( Screening )

ये एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट का सबसे पहला प्रोसेस होता है जिसमे इंडस्ट्रीज के गंदे पानी को स्क्रीनिंग ( छनन ) किया जाता जिससे की गंदे पानी में उपस्थित पेपर , प्लास्टिक , लकड़ी इत्यादि अपशिष्ट पदार्थ को अलग किया जाता है। 

स्क्रीनिंग में ही गंदे पानी लगभग 65 -70% तक साफ हो जाता है। 

अवसादन (Sedimentation )

स्क्रीनिंग के बाद अपशिष्ट पानी को सेडीमेंटशन प्रोसेस में भेजा जाता है जहा पानी को सेडीमेंटशन टैंक में भेजा जाता है जिससे की पानी में उपस्थित भारी कण गुरुत्वाकर्षण के कारन निचे बैठता जाता है और हल्का कण ऊपर आते जाते है।

सेडीमेंटशन टैंक में गंदे पानी को लगभग 4-6 घंटे के लिए रखा जाता है और टैंक में कुछ विशेष प्रकार के केमिकल डेल जाते है जैसे की एलुमिनियम सलफेट ,  ferric सलफेट इत्यादि जिससे की अशुद्धियों को आसानी से अलग किया जा सके। 

निर्मलक ( Clarifiers )

ये एक आयताकार टैंक होता है जिसमे कन्वेयर बेल्ट या टैंकों के केंद्रीय अक्ष के चारों ओर घूमने वाले स्क्रैपर्स के साथ ठोस पदार्थ को लगतार हटाने का काम करता है। ये प्रोसेस आमतौर पर सेडीमेंटशन प्रोसेस के बाद और बायोलॉजिकल ट्रीटमेंट से पहले किया जाता है। 

 

प्राइमरी ट्रीटमेंट ( Primary Treatment )

प्राइमरी ट्रीटमेंट में आमतौर ये ट्रीटमेंट प्रक्रिया शामिल है जैसे की –

फ्लॉक्यूलेशन ( Flocculation )

इस प्रोसेस में पानी में जितने अस्थिर कण होते है बड़े गुच्छा (क्लस्टर या फ्लोक्स) बनाते है जिससे की उन्हें आसानी से पानी से अलग किया जा सके। ये प्रोसेस सामान्यतः अनायास या रासायनिक एजेंटों की मदद से होता है।

जमावट ( Coagulation )

यह एक केमिकल प्रक्रिया है जिसमें पानी से सूक्ष्म ठोस कणों के बड़े द्रव्यमान में तेजी से अलग होने के लिए कौयगुलांट्स जोड़े जाते हैं। जयादातर आयरन और एल्युमीनियम साल्ट कौयगुलांट उपयोग किये जाते है। 

न्यूट्रीलिज़ेशन ( Neutralization )

न्यूट्रीलिज़ेशन प्रोसेस का मुख्य उद्देश्य होता है की एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट में बिभिन इकाई की आवश्यकताओं के अनुसार pH रेंज 6-9 के बिच में बनाये रखना । 

 

सेकंडरी ट्रीटमेंट ( Secondary Treatment )

सेकंडरी ट्रीटमेंट में आमतौर ये ट्रीटमेंट प्रक्रिया शामिल है जैसे की :-

एरेटेड लैगून्स ( Aerated Lagoons )

एरेटेड लैगून्स या तालाब एक साधाहरण वाटर ट्रीटमेंट प्रोसेस है जिसमे आर्टिफीसियल वायु संचारण की मदद से गंदे पानी में उपस्थित जैविक ऑक्सीकरण को बढ़ाया जाता है।

एरेटेड तालाब का गहराई लगभग 1.5 मीटर से 5 मीटर के बिच होता है।  

इस प्रोसेस से लगभग पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD ) रिमूव हो जाता है जो कम से कम एक दिन और जयादा से जयादा दस दिन तक किया जाता है।

ट्रिकलिंग फ़िल्टर ( Trickling Filter )

इसमें एक फिक्स bed होता है जिसमे , कोक, बजरी, स्लैग, पॉलीयूरेथेन फोम, स्फाग्नम पीट मॉस, सिरेमिक इत्यादि मीडिया एक फिक्स लेवल तक होता है , जिसके ऊपर से पानी निचे की और फ्लो होता है जिससे बायोफिल्म की एक परत बनता है। 

फिर वायु संचारण के मदद से गंदे पानी के जैविक ऑक्सीकरण को बढ़ा कर अशुद्धियों को अलग किया जाता है। 

बायोफ़िल्टर ( Biofilter ) – 

इसका उपयोग जयादातर केमिकल इंडस्ट्रीज या पेट्रोलियम इंडस्ट्रीज के एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट में होता है। बायोफ़िल्टर में बायोरिएक्टर ( Bioreactor ) की मदद से केमिकल या स्लिट को निकाला जाता है। 

रोटेटिंग बायोलॉजिकल कंटक्टर ( Rotating Biological Contactor)

आरबीसी प्रोसेस एक जैविक निश्चित फिल्म ट्रीटमेंट प्रोसेस होता है। इसमें एक घूर्णन शाफ्ट पर समान्तर डिस्क की एक श्रृंखला होती है जो गंदे पानी के ठीक ऊपर होता है। 

जिसमे पानी को खुले वातावरण में छोड़ने से पहले बायोफिल्म से कांटेक्ट इस प्रकार कराया जाता है की पानी में उपस्थित अशुद्धियाँ बहार निकल जाती है। 

 

तृतीयक ट्रीटमेंट ( Tertiary Treatment )

तृतीयक ट्रीटमेंट में आमतौर ये ट्रीटमेंट प्रक्रिया शामिल है जैसे की –

फिल्ट्रेशन ( Filtration )

साफ किए गएगंदे पानी को पहले निकटवर्ती फिल्ट्रेशन प्लांट में भेजा जाता है जिससे की उच्च गुणवत्ता वाले पानी मिल सके। 

रिवर्स ओसमोसिस ( Reverse Osmosis )

रिवर्स ओसमोसिस में पानी को हाई फाॅर्स पर मेम्ब्रेन में भेजा जाता है , जिससे की अशुद्धियाँ मेम्ब्रेन के एक साइड रहती है और साफ पानी एक साइड से निकल जाती है। 

अल्ट्रा-वॉइलेट डिसइंफेक्शन ( UV Disinfection )- .

अल्ट्रा-वॉइलेट डिसइंफेक्शन प्रोसेस इंडस्ट्रीज में सबसे आदर्श डिसइंफेक्शन प्रोसेस होता है क्योंकि इसमें खास बात ये होती है की यह पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पानी में कोई अवशिष्ट कीटाणुनाशक नहीं छोड़ता है।

 

एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट के लाभ

  • इंडस्ट्रीज के सभी अपशिस्ट पदार्थ को साफ करके पानी को फिर से उपयोग के लिए रीसायकल करना 
  • इंडस्ट्रीज में उपयोगी पानी का खपत कम करना
  • प्राकृतिक वातावरण को प्रदषूण से बचाना 
  • एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्रक्रिया से पानी पर लगत कम करना और 
  • ये सबसे अधिक लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल तरीका हो सकता है।
 
 
 
Conclusion: दोस्तों आज हमने ETP क्या है ,  ETP के प्रक्रिया और ETP के लाभ समझा।
यदि ETP से सम्बंधित कोई और प्रश्न या सुझाव हो तो हमारे साथ जरूर शेयर करे।
और हाँ दोस्तों आज का आर्टिकल कैसा लगा कमेंट कर के जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करे।
 
 

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