DC Motor क्या है ? कार्य सिद्धान्त और संरचना

नमस्कार दोस्तों ; आजकल मोटर का उपयोग हर एक जगह होता है , चाहे हमारा घर हो या इंन्डस्ट्रीज। 

लेकिन सभी अनुप्रयोगों में अलग अलग मोटर का उपयोग किया जाता है।

इसीलिए आज हम इस आर्टिकल में समझेंगे डीसी मोटर क्या है , डीसी मोटर के कार्य सिद्धांत , डीसी मोटर के संरचना और प्रकट के बारे में। 

 

तो आईये विस्तार से समझते है –

 

डीसी मोटर क्या है ?

डीसी मोटर्स सबसे जयादा उपयोग की जाने वाली मोटर का पहला रूप था , क्योंकि डीसी मोटर्स को हम आसानी से डायरेक्ट करंट से भी चला सकते है।

इसीलिए डीसी मोटर्स को डायरेक्ट करंट मोटर भी कहा जाता है , जो डीसी इलेक्ट्रिकल एनर्जी को मैकेनिकल एनर्जी में बदलता है।आमतौर पर डीसी मोटर्स चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्पादित बलों पर निर्भर करता है।

जैसे इंडक्शन मोटर अल्टेरनेटिंग करंट से ऑपरेट होता है वैसे ही डीसी मोटर्स डायरेक्ट करंट से ऑपरेट होता है।

आमतौर पर सभी डीसी मोटर में इलेक्ट्रो मैकेनिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स इंटरनल मैकेनिज्म होता है जो समय समय पर मोटर के अंदर करेंट की दिशा बदलता है।

छोटे डीसी मोटर्स का उपयोग जयादातर टूल्स , टॉयज में किया जाता है जो ब्रश की हुई मोटर होती है , लेकिन बड़ा डीसी मोटर्स का उपयोग जयादातर स्टील रोलिंग मिल्स ,ट्राली , इलेक्ट्रिकल व्हीकल , एलीवेटर इत्यादि में होता है।

 

डीसी मोटर्स के कार्य सिद्धान्त

जब एक धारा प्रभाव करते हुए कंडक्टर को मैग्नेटिक फील्ड में रखा जाता है तो उसपर यांत्रिक बल ( टार्क ) काम करता है , जिससे की ये धारावाही कंडक्टर बल की दिशा में गतिशील हो जाता है।

या दूसरे शब्द में कहे तो जब मैकेनिकल फील्ड और इलेक्ट्रिकल फील्ड आपस में सहभागिता करता है तो यांत्रिक बल उत्पन्न होता है। 

इस मोटर के घूमने की दिशा फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम द्वारा समझा जा सकता है। 

फ्लेमिंग के बाएं हाथ के नियम में कहा गया है कि यदि आपके बाएं हाथ की तर्जनी, मध्यमा और अंगूठा आपस में एक-दूसरे के लंबवत हैं और यदि तर्जनी ऊँगली मैग्नेटिक फील्ड को रिप्रेजेंट करती है , मध्यमा ऊँगली करंट की दिशा को रिप्रेजेंट करती है तब अंगूठा डीसी मोटर के शाफ्ट द्वारा बल की दिशा को रिप्रेजेंट करती है। 

 

डीसी मोटर के संरचना

डीसी मोटर के संरचना ठीक डीसी जनरेटर के जैसा होता है इसीलिए मशीन को या तो डीसी मोटर या फिर डीसी जनरेटर के रूप में उपयोग कर सकते है।

आमतौर पर डीसी मोटर इलेक्ट्रिकल एनर्जी को मैकेनिकल एनर्जी में बदलती है , वही डीसी जनरेटर ठीक उल्टा मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलती है। 

डीसी मोटर में सामन्यतः दो वाइंडिंग होते है एक फील्ड वाइंडिंग और दूसरा आर्मेचर वाइंडिंग। फील्ड वाइंडिंग स्थिर रहता है जो मैग्नेटिक फ्लक्स उत्पन्न करता है और आर्मेचर वाइंडिंग घूमता है।

डीसी मोटर को निम्नलिखित मुख्य भाग में बाटा जा सकता है –

  • स्टेटर 
  • आर्मेचर
  • कम्यूटेटर और 
  • ब्रश

 

स्टेटर ( Stator )

डीसी मोटर में स्टेटर स्थिर भाग होता है , जो आर्मेचर को घूमने के लिए मैग्नेटिक फील्ड उत्पन्न करता है। जो जयादातर स्थायी चुंबक या विद्युत चुंबक होता है। 

स्टेटर में बिभिन्न भाग होते है , जो की इस प्रकार से है –

योक( Yoke )

योक को फ्रेम के रूप में भी जाना जाता है , जो डीसी मोटर के बाहरी आवरण के रूप में काम करता है जो डीसी मोटर के बाहरी हिस्सों को सुरक्षा प्रदान करता है और मैग्नेटिक फ्लक्स के लिए पथ प्रदान करता है।

योक आमतौर पर कास्ट आयरन , कच्चा लोहा, सिलिकॉन स्टील ,आदि मटेरियल से बना होता है। 

पोल कोर या पोल शू ( Pole Core or Pole Shoe )

पोल कोर या पोल शू योक के साथ बोल्ट द्वारा फिक्स होता है , जो आमतौर पर पतले कास्ट स्टील या ढलवाँ लोहे के पत्तियों (लेमिनेशन ) से बने होता है। पतियों आमतौर सामान्यतः 1 से 2 mm मोटी होती है। 

पोल्स जब फील्ड वाइंडिंग उत्तेजित होती है तो ध्रुव चुंबकीय प्रवाह उत्पन्न करने का काम करता है। 

पोल शू पोल का विस्तारित भाग होता है , पोल शू के आकार के कारण, ध्रुव क्षेत्र बड़ा हो जाता है जिससे की मैग्नेटिक फ्लक्स आर्मेचर तक आसानी से जा सकता है।

फील्ड वाइंडिंग ( Field Winding )

पोल के चारो ओर coil होती है जिसे फील्ड coil कहा जाता है ये सीरीज में जुडी हुई रहती है , जो फील्ड वाइंडिंग बनती है। ये coil आमतौर पर कॉपर की वायर की होती है। 

फील्ड वाइंडिंग एक से अधिक coil की श्रृंखला होती है , जब डायरेक्ट करंट को फील्ड वाइंडिंग से गुजारा जाता है तो मैग्नेटिक फ्लक्स उत्पन्न करता है। 

एन्ड प्लेट्स ( End Plates ) – ये  स्टेटर के प्रत्येक छोर पर स्थित होती हैं । 

 

आर्मेचर ( Armature ) 

आर्मेचर एक बेलनाकार ड्रम होता है जो शाफ़्ट को घुमाने का काम करता है , जिससे की मैकेनिकल एनर्जी उत्पन्न होती है। बेलनाकार ड्रम के परिधि के चारों ओर बड़ी संख्या में स्लॉट होते हैं, जिसपर वाइंडिंग होता है। 

आर्मेचर कोर के लिए उच्च चुम्बक शीलता वाला सामग्री जैसे की सिलिकॉन स्टील की पतली पतियों का उपयोग किया जाता है। जो eddy current से होने वाला नुकसान से बचाता है। 

 

कम्यूटेटर ( Commutator )

कम्यूटेटर सामान्यतः शाफ़्ट के ऊपर होता है  , जो अल्टरनेटिंग टॉर्क को आर्मेचर में उत्पन्न दिशाहीन टॉर्क में बदल देता है। 

 

ब्रश ( Brushes )

ब्रश का मुख्य काम होता है  बाहरी सर्किट से कम्यूटेटर तक विद्युत प्रवाह का संचालन करना। ब्रश आमतौर पर ग्रेफाइट या कार्बन संरचना से बना होता है।

 

डीसी मोटर के प्रकार –

डीसी मोटर मुख्यतः तीन प्रकार के होते है , जो की इस प्रकार से है –

  • शंट वाउन्ड डीसी मोटर
  • सीरीज वाउन्ड डीसी मोटर और 
  • कंपाउंड वाउन्ड डीसी मोटर

 

शंट वाउन्ड डीसी मोटर ( Shunt Wound DC Motor )

शंट वाउन्ड डीसी मोटर में फील्ड वाइंडिंग आर्मेचर के समानांतर जुड़ा हुआ होता है। 

सीरीज वाउन्ड डीसी मोटर ( Series Wound DC Motor

सीरीज वाउन्ड डीसी मोटर में फील्ड वाइंडिंग आर्मेचर वाइंडिंग के साथ सीरीज में जुड़ा हुआ होता है। 

कंपाउंड वाउन्ड डीसी मोटर ( Compound Wound DC Motor )

इसमें शंट फील्ड वाइंडिंग और सीरीज फील्ड वाइंडिंग का मिश्रण होता है। 

 

ब्रश डीसी मोटर क्या होता है ?

इसमें एक कम्यूटेटर होता है , जो आंतरिक कम्यूटेशन का उपयोग करके डीसी पावर से टार्क उत्पन्न करता है , ये टार्क सिंगल डायरेक्शन टॉर्क होता है।

ब्रश डीसी मोटर के लाभ ये है की इसमें प्रारंभिक लागत कम होता है और मोटर गति को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

लेकिन इसका कुछ हानि भी है जैसे की उच्च तीव्रता के उपयोग के लिए जायदा मेन्टेन्स करना पड़ता है और इसका लाइफ भी कम होता है। 

 

ब्रशलेस डीसी मोटर क्या होता है ?

ब्रशलेस डीसी मोटर को सिंक्रोनस डीसी मोटर भी कहा जाता है , इसमें कम्यूटेटर नहीं होता। कम्यूटेटर के बदले में सर्वो तंत्र होता है जो रोटर के एंगल को संतुलित करता है।

ब्रशलेस डीसी मोटर के लाभ ये है की इसका लाइफ लम्बा होता है , बहुत कम मैन्टेनन्स के साथ उच्च दक्षता होता है।

लेकिन इसका हानि ये है की  प्रारंभिक लागत जयादा होता है और मोटर गति को नियंत्रण करना थोड़ा मुश्किल होता है। 

 

डीसी मोटर के उपयोग –

डीसी मोटर का उपयोग निम्नलिखित में किया जाता है जो की इस प्रकार से है –

  • लेद मशीन 
  • सेन्ट्रीफ्यूगल पंप 
  • ड्रिलिंग मशीन 
  • कन्वेयर 
  • क्रेन 
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल इत्यादि। 
 
 
Conclusion: दोस्तों आज हमने डीसी मोटर क्या है , डीसी मोटर के कार्य सिद्धांत, डीसी मोटर की संरचना और डीसी मोटर के प्रकार के बारे में समझा।
यदि डीसी मोटर से सम्बंधित कोई और प्रश्न या सुझाव हो तो हमारे साथ जरूर शेयर करे।
और हाँ दोस्तों आज का आर्टिकल कैसा लगा कमेंट कर के जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करे।

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