नमस्कार दोस्तों ; जब हम घर या इंडस्ट्रीज में इलेक्ट्रिक वायरिंग करते है या फिर कण्ट्रोल पैनल का डिज़ाइन करते है तो इलेक्ट्रिकल शार्ट – सर्किट या किसी भी फाल्ट से हमे और हमारे उपकरण को होने वाले नुकसान से बचने के लिए बिभिन्न प्रकार के उपकरण का इस्तेमाल करते है।
किसी भी फाल्ट या शार्ट -सर्किट से होने वाले नुकसान से बचने के लिए आप देखते होंगे MCCB , MCB या फिर ACB का उपयोग किया जाता है।
लेकिन क्या आपने आइसोलेटर का नाम सुना है !
जयादातर इलेक्ट्रिकल डिस्ट्रीब्यूशन लाइन और औद्योगिक अनुप्रयोगों में आइसोलेटर का भी उपयोग सर्किट को ब्रेक करने के लिए किए जाते हैं।
इसीलिए आज हम इस आर्टिकल में समझेंगे आइसोलेटर क्या है ? आइसोलेटर के प्रकार और आइसोलेटर के उपयोग।
तो आईये विस्तार से समझते है –
आइसोलेटर क्या है ?
आमतौर पर आइसोलेटर को एक डिस्कनेक्टर स्विच भी कहा जाता है , जो किसी उच्य धारा वाली विद्युत सर्किट को पूरी तरह से इलेक्ट्रिकल सप्लाई से डिसकनेक्ट करके विद्युत सर्किट को डी-एनर्जेटिक करने का काम करता है।
आइसोलेटर सिर्फ सर्किट को ब्रेक करने के लिए उपयोग किए जाते हैं जो जयादातर इलेक्ट्रिकल डिस्ट्रीब्यूशन लाइन और औद्योगिक अनुप्रयोगों में उपयोग किये जाते है।
बिना लोड की स्थिति में विद्युत परिपथ को ओपन या क्लोज करने के लिए आइसोलेटर स्विच का उपयोग किया जाता है।
वही यदि लाइन से करंट प्रवाहित हो रही हो तो इसका उपयोग ओपन या क्लोज करने के लिए नहीं किया जा सकता है।
इसीलिए आइसोलेटर स्विच को ऑफ लोड डिवाइस भी कहा जाता है।
आमतौर पर आप देखेंगे आइसोलेटर सर्किट ब्रेकर के दोनों सिरे पर होता हैं, जिससे की जब हमे सर्किट ब्रेकर की मेंटेनेंस करना हो तो बिना किसी जोखिम और फाल्ट के आसानी से सर्किट ब्रेकर का मेंटेनेंस किया जा सके।
कभी कभी आइसोलेटर का उपयोग वहां भी किया जाता है जहाँ किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रिकल कॉम्पोनेन्ट को बदलना हो या अलग करना हो तो यदि सिस्टम ऑफलाइन हो या ऑनलाइन आसानी से हम उसे बदल सके।
आइसोलेटर के कार्य सिद्धांत
आइसोलेटर का कार्य सिद्धांत बहुत ही साधारण होता है और इसे अलग अलग तरीको से ऑपरेट किया जाता है जैसे की मैन्युअली , अर्ध-स्वचालित और पूरी तरह से स्वचालित।
कभी कभी आइसोलेटर का उपयोग स्विच की तरह भी किया जाता है जो सर्किट को जरुरत के हिसाब से ओपन और क्लोज करने का काम करता है।
जो सामान्यतः सिंगल पोल , डबल पोल , 3 पोल , 4 पोल में आता है।
आइसोलेटर के प्रकार
इलेक्ट्रिकल आइसोलेटर मुख्यतः तीन प्रकार के होते है , जो की इस प्रकार से है –
- सिंगल ब्रेक टाइप आइसोलेटर
- डबल ब्रेक टाइप आइसोलेटर
- पैंटोग्राफ टाइप आइसोलेटर
1.सिंगल ब्रेक टाइप आइसोलेटर –
इस प्रकार के आइसोलेटर में, एकबार में सिर्फ एक ही टर्मिनल कनेक्ट या डिसकनेक्ट होता है , आर्म कांटेक्ट को दो भागो में विभाजित किया जाता है , पहला आर्म कांटेक्ट और दूसरा आर्म कांटेक्ट।
पहला आर्म मेल कांटेक्ट को होल्ड करता है वही दूसरा आर्म फीमेल कांटेक्ट को होल्ड करता है।
आमतौर पर पोस्ट इंसुलेटर रोटेशन के कारण आर्म कॉन्टैक्ट शिफ्ट हो जाता है, जिस पर आर्म कॉन्टैक्ट्स फिक्स होते हैं।
2.डबल ब्रेक टाइप आइसोलेटर –
इस प्रकार के आइसोलेटर में, प्रत्येक तरफ के दोनों टर्मिनल कनेक्ट या डिस्कनेक्ट आसानी से हो सकता हैं क्योंकि केंद्रीय टर्मिनल moveable होता है।
इस प्रकार के आइसोलेटर में पोस्ट इंसुलेटर के तीन लोड होते हैं।
वह मिडिल इन्सुलेटर एक फ्लैट मेल या ट्यूबलर कांटेक्ट को होल्ड करता है जिसे सीधे मिडिल पोस्ट इन्सुलेटर के स्पिन द्वारा बदला जा सकता हैं।
मिडिल पोस्ट इंसुलेटर का रोटेशन पोस्ट इंसुलेटर के नीचे लीवर विधि द्वारा आसानी से किया जा सकता हैं।
3.पैंटोग्राफ टाइप आइसोलेटर –
पैंटोग्राफ प्रकार का आइसोलेटर करंट स्विचगियर स्थापना की अनुमति देता है, और इसके लिए कम से कम स्थान की आवश्यकता होती है।
इस प्रकार के इन्सुलेटर में एक पोस्ट इंसुलेटर के साथ-साथ एक ऑपरेटिंग इंसुलेटर भी होता है।
पावर सिस्टम लोकेशन के अनुसार, पैंटोग्राफ टाइप आइसोलेटर को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जो की इस प्रकार से है –
- बस साइड आइसोलेटर
- लाइन साइड आइसोलेटर और
- ट्रांसफर बस साइड आइसोलेटर
बस साइड आइसोलेटर
बस साइड आइसोलेटर एक प्रकार का ऐसा आइसोलेटर है जो प्रमुख बस से जुड़ता है।
लाइन साइड आइसोलेटर
लाइन साइड आइसोलेटर एक फीडर के इनलाइन साइड से जुड़ा रहता है।
ट्रांसफर बस साइड आइसोलेटर
ट्रांसफर बस साइड आइसोलेटर एक ट्रांसफॉर्मर की प्रमुख बस से जुड़ा रहता है।
आइसोलेटर के अनुप्रयोग
आइसोलेटर्स के अनुप्रयोगों में निम्नलिखित शामिल हैं-
- आइसोलेटर्स का उपयोग ट्रांसफॉर्मर जैसे उच्च वोल्टेज वाली डिवाइस में किया जाता है।
- आइसोलेटर्स का उपयोग बाहरी लॉकिंग सिस्टम या आकस्मिक उपयोग को रोकने के लिए लॉक के साथ संरक्षित करने के लिए किया जाता है।
- जब सबस्टेशन में कोई खराबी आती है, तो आइसोलेटर सबस्टेशन के सिर्फ एक हिस्से को काट देता है , जिससे की दूसरा उपकरण बिना किसी रूकावट के काम करता रहता है।
- आइसोलेटर्स का उपयोग सिग्नल के आइसोलेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
आइसोलेटर और सर्किट ब्रेकर में अंतर
- आइसोलेटर एक प्रकार का ऑफ-लोड उपकरण है , और सर्किट ब्रेकर ऑन-लोड उपकरण है।
- सर्किट ब्रेकर एक एमसीबी या एसीबी की तरह होता है जो कोई फाल्ट होने पर पूरे सिस्टम को ट्रिप कर देता है।
- लेकिन जब सबस्टेशन में कोई खराबी आती है, तो आइसोलेटर सबस्टेशन के सिर्फ एक हिस्से को काट देता है , जिससे की दूसरा उपकरण बिना किसी रूकावट के काम करता रहता है।
- आइसोलेटर एक तरह का यांत्रिक उपकरण है जो स्विच जैसे होता है लेकिन सर्किट ब्रेकर BJT या MOSFET से बना एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है।
- सर्किट ब्रेकरों में ऑन-लोड की स्थिति में भी उच्च प्रतिरोध क्षमता होती है , वही आइसोलेटर में ऑफ लोड की स्थिति में भी बहुत कम प्रतिरोध क्षमता होती है।
- सर्किट ब्रेकर के अपेक्षा आइसोलेटर सस्ता होता है।
Ati acha & isolter types m inki pic bhi daal dete