इंसुलेटर क्या है ? इंसुलेटर के प्रकार और उपयोग

नमस्कार दोस्तों ; आपने अपने गांव या अपने शहर या पॉवर स्टेशन में देखते होंगे की बड़े बड़े पोल लगे होते है ,और उसके ऊपर से ट्रांसमिशन लाइन गुजरती है।

उस ट्रांसमिशन लाइन में आपने जरूर इंसुलेटर देखा होगा। 

अनुप्रयोग , आकर और मटेरियल के हिसाब से इंसुलेटर अलग अलग प्रकार का होता है और उनका उपयोग भी अलग अलग अनुप्रयोग में किये जाते है। 

इसीलिए आज हम इस आर्टिकल में इंसुलेटर क्या है , इंसुलेटर के प्रकार और उपयोग को समझेंगे। 

 

तो आईये विस्तार से समझते से है –

इंसुलेटर क्या है ?

इंसुलेटर एक ऐसी मटेरियल है जो विद्युत प्रवाह का संचालन नहीं करती है।

दूसरे शब्द में एक विद्युत इंसुलेटर एक ऐसी सामग्री है जो विद्युत प्रवाह के माध्यम से आसानी से बिजली के प्रवाह की अनुमति नहीं देती है।

आमतौर पर इंसुलेटिंग मटेरियल प्लास्टिक , रबर , गिलास आदि का बना होता है।

आमतौर पर सेमीकंडक्टर और कंडक्टर मटेरियल में विद्युत प्रवाह आसनी से होता है , लेकिन इंसुलेटर में ऐसा नहीं होता है।

क्योंकि आपको पता है विद्युत प्रवाह का संचालन  के लिए फ्री इलेक्ट्रान की जरुरत होती है जो इंसुलेटर में नहीं होता है इसीलिए इंसुलेटर विद्युत प्रवाह का संचालन नहीं करता है।

इंसुलेटर में सेमीकंडक्टर और कंडक्टर के अपेक्षा जयादा प्रतिरोधक क्षमता होती है ,इसका सबसे वढ़िया उदाहरण है नॉन-मेटल।

इंसुलेटर का उपयोग जयादातर इलेक्ट्रिकल उपकरण जैसे की बिजली के तारों का लेप , सर्किट बोर्ड , उपरि ट्रांसमिशन लाइन इत्यादि में होता है। 

 

एक अच्छे इंसुलेटर के गुण

  • एक अच्छे इंसुलेटर का प्रतिरोधक क्षमता जयादा होना चाहिए। 
  • अच्छे इन्सुलेटर में उच्च वायु पारगम्यता होना चाहिए क्योंकि हवा स्वयं एक अच्छा इन्सुलेटर है।
  • एक अच्छे इंसुलेटर का मैकेनिकल स्ट्रेंथ उच्य होना चाहिए क्योंकि जब बिजली का संचालन उच्च वोल्टेज पर होता है तो हीट उत्पन्न होता है।
  • एक अच्छे इंसुलेटर का तप शक्ति उच्य होना चाहिए। 
  • एक अच्छे इंसुलेटर तेल या तरल पदार्थ, गैस के धुएं, एसिड और क्षार का प्रतिरोध होना चाहिए।
  • एक अच्छे इंसुलेटर का वजन कम होना चाहिए। 

 

इंसुलेटर के प्रकार :

वैसे तो इंसुलेटर बहुत प्रकार के होते है , लेकिन इंसुलेटर को दो आधार पर बाटा गया है जो की इस प्रकार से है –

अनुप्रयोग के आधार पर इंसुलेटर इस प्रकार से है-

 

पिन इंसुलेटर ( Pin Insulator) 

 

पिन इंसुलेटर सबसे पहला ओवरहेड इंसुलेटर है , जो जयादातर 11kV से 33 kV तक के पॉवर नेटवर्क सिस्टम में उपयोग किए जाते हैं।  पिन टाइप इंसुलेटर पोल पर क्रॉस-आर्म पर एक पिन पर लगाया जाता है।

पिन इंसुलेटर सिंगल परत आकार का होता है जो एक नॉन कंडक्टिंग मटेरियल से जैसे की चीनी मिट्टी के बरतन या कांच से बना होता है।

वोल्टेज अनुप्रयोग के हिसाब से सिंगल या मल्टीप्ल पिन इंसुलेटर का उपयोग किया जाता है। 

पिन इंसुलेटर जयादातर सीधे ट्रांसमिशन लाइन के लिए उपयोगी होता है। 

33 kV  से जयादा वोल्टेज में  पिन इंसुलेटर का उपयोग करना उपयोगी नहीं होता है क्योंकि पिन इंसुलेटर का आकार और का वजन अधिक होता है। जिससे की इसे संभालना और बदलना काफी मुश्किल काम हो जाता है। 

 

पोस्ट इंसुलेटर ( Post Insulator )

पोस्ट इंसुलेटर और पिन इंसुलेटर एक जैसा ही होता है लेकिन इसका उपयोग जयादातर उच्य वोल्टेज के लिए किया जाता है।

हम इस प्रकार के इन्सुलेटर को क्षैतिज और लंबवत रूप से पोल पर आसानी से माउंट कर सकते हैं। जो जयादातर चीनी मिट्टी के बरतन के बने होते है। 

पोस्ट इंसुलेटर पिन इंसुलेटर के अपेक्षा जयादा कॉम्पैक्ट होता है जिससे लगाना आसान होता है। 

पोस्ट इंसुलेटर का उपयोग 115kV तक के पॉवर नेटवर्क सिस्टम में किया जा सकता है। 

 

सस्पेंशन इंसुलेटर ( Suspension Insulator )

सस्पेंशन इंसुलेटर का उपयोग 33kv से जयादा वोल्टेज वाले पॉवर नेटवर्क सिस्टम के लिए किया जाता है।

सस्पेंशन इंसुलेटर में एक स्ट्रिंग के रूप में सीरीज में कई ग्लास या चीनी मिट्टी के बरतन डिस्क होते है।

सस्पेंशन इंसुलेटर में डिस्क की संख्या वोल्टेज पर निर्भर करता है , बिभिन्न वोल्टेज के पॉवर नेटवर्क सिस्टम में डिस्क की संख्या कम या जायदा हो सकता है। 

सस्पेंशन इंसुलेटर में खास बात ये होती है की यदि स्ट्रिंग में कोई एक डिस्क इंसुलेटर क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो इसे बहुत आसानी से बदला जा सकता है।

 

स्ट्रेन इंसुलेटर ( Strain Insulator )

स्ट्रेन इंसुलेटर में  कंडक्टर के असाधारण tensile load को बनाए रखने के लिए निलंबन स्ट्रिंग का उपयोग किया जाता है। 

इसका उपयोग जायदातर ट्रांसमिशन लाइन के शुरू में या फिर अंत में किया जाता है। 

स्ट्रेन इंसुलेटर सबसे जयादा उपयोगी वहां होता है जहाँ ट्रांसमिशन लाइन में एक से जयादा शाखाएं हो या फिर जब लाइनों में tensile load बहुत अधिक होता है, जैसे कि लंबी नदी के फैलाव में। 

स्ट्रेन इनसुअलटोर की खास बात ये होती है की इसका इसका मैकेनिकल स्ट्रेंथ बहुत उच्य होता है। 

 

शैकल इंसुलेटर ( Shackle Insulator )

 

शैकल इंसुलेटर को स्पूल इंसुलेटर भी कहा जाता है जिसका उपयोग आमतौर पर पहले स्ट्रेन इंसुलेटर के समान इस्तेमाल के लिया जाता है।

लेकिन आजकल शैकल इंसुलेटर का उपयोग काम वोल्टेज पॉवर नेटवर्क सिस्टम के लिए किया जाता है। 

शैकल इंसुलेटर को आमतौर पर बोल्ट या cross arm के साथ सीधे पोल पर लगाया जा सकता है। 

शैकल इंसुलेटर का उपयोग या तो क्षैतिज स्थिति में या ऊर्ध्वाधर स्थिति में आसानी से किया जा सकता है।

 

डिस्क इंसुलेटर ( Disc Insulator )

 

डिस्क इंसुलेटर का सबसे जयादा उपयोग किया जाने वाला इंसुलेटर है क्योंकि डिस्क इंसुलेटर में जंगरोधी , मजबूत डिजाइन जैसी उच्च कुशल विशेषताएं होती है। 

आमतौर पर डिस्क इंसुलेटर उच्य ग्रेड के कच्चे माल से बने होते है जो 120kV से भी जयादा वोल्टेज वाली पॉवर नेटवर्क सिस्टम में उपयोग किया जा सकता है। 

 

स्टे इंसुलेटर ( Stay Insulator )

स्टे इंसुलेटर का आकर आयताकार होता है , जिसका उपयोग जयादातर कम वोल्टेज वाली डिस्ट्रीब्यूशन लाइन में किया जाता है।

इसका मुख्य काम होता उन उपकरणों की सुरक्षा करना जो वोल्टेज परिवर्तन होने से अचानक खराब हो जाता है।

इसीलिए स्टे इंसुलेटर कंडक्टर लाइन और अर्थ के बिच में उपयोग किया जाता है। 

स्टे इंसुलेटर जयदतर चीनी मिट्टी के बरतन से बने होते है। 

 

मटेरियल के आधार पर इंसुलेटर के प्रकार –

पॉलीमर इंसुलेटर ( Polymer Insulator )

आमतौर पर पॉलीमर इंसुलेटर फाइबर गिलास के रोड या इपोक्सी पॉलीमर से बने होते है।

पॉलीमर इंसुलेटर चीनी मिट्टी के बरतन से बने इंसुलेटर की तुलना में वजन में हलके होते है। 

पॉलीमर इंसुलेटर वहां उपयोगी होता है जहाँ प्रदूषित क्षेत्र हो। 

गिलास इंसुलेटर ( Glass Insulator )

 

गिलास इंसुलेटर का उपयोग 18th सेंचुरी से ही होता आ रहा है , इसका उपयोग पहले टेलीफोन लाइन में किया जाता था। 

गिलास इंसुलेटर का लाइफ दूसरे इंसुलेटर के अपेक्षा लम्बा होता है। 

आजकल गिलास इंसुलेटर के जगह पर सिरेमिक या फिर मिट्टी के बरतन से बने इंसुलेटर का उपयोग किया जाता है। 

गिलास इंसुलेटर का उपयोग उच्य वोल्टेज या फिर काम वोल्टेज वाले ट्रांसमिशन लाइन में किया जा सकता है। 

पोर्सिलिन इंसुलेटर ( Porcelain Insulator )

 

पोर्सिलिन इंसुलेटर जिसे हिंदी में चीनी मिटी इंसुलेटर भी कहा जाता है , जो  चीनी मिटी से बने होते है।

पोर्सिलिन इंसुलेटर का उपयोग आमतौर पर उच्य और कम दोनों वोल्टेज वाले ट्रांसमिशन लाइन में किया जाता है। 

 

इंसुलेटर का उपयोग

इंसुलेटर का उपयोग बहुत जगह पर होता है लेकिन मुख्य रूप से जहाँ होता है वो इस प्रकार से है –

  • सुरक्षा के लिए इलेक्ट्रिक बोर्ड या सर्किट बोर्ड में 
  • ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन में
  • केबल के ऊपर परत चढाने में और 
  • गर्मी प्रतिरोध के लिए उच्य वोल्टेज वाले उपकरण में इत्यादि 
 
 
Conclusion: दोस्तों आज हमने आइसोलेटर क्या है , आइसोलेटर के प्रकार और आइसोलेटर के उपयोग को समझा।
यदि इंसुलेटर से सम्बंधित कोई और प्रश्न या सुझाव हो तो हमारे साथ जरूर शेयर करे।
और हाँ दोस्तों आज का आर्टिकल कैसा लगा कमेंट कर के जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करे।

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