Valve क्या है | Types of Valve | Working of Valve |

नमस्कार दोस्तों , यदि आपको मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल प्रोडक्ट में रूचि है या आप इसके छात्र है तो आपके लिए ये एक बहुत ही अच्छा टॉपिक हो सकता है।

क्योंकि मैं अपने पर्सनल अनुभव से बता रहा हूँ जब मैं छात्र था तो सबसे जयादा मैं कंफ्यूज रहता था सिर्फ वाल्व के प्रकार समझने में इसीलिए आज मैंने सोचा शायद ये प्रॉब्लम आपलोगो के साथ भी हो रहा होगा।

इसीलिए आज हम विस्तार में समझेंगे वाल्व क्या है ? वाल्व के प्रकार के बारे में और ये कैसे काम करता है।

तो आईये समझते है –

Valve क्या है ?

यह एक ऐसा उपकरण है जो किसी भी तरल पदार्थ के प्रभाव को नियंत्रित या निर्देशित करता है। वाल्व लैटिन शब्द Valva से लिया गया है। जो आमतौर पर एक फिटिंग में सहायक उपकरण में आता है।  

ये किसी भी तरल पदार्थ चाहे वो गैस का हो , द्रवित ठोस का हो उसे आसानी से नियंत्रित कर सकता है। 

आजकल वाल्व के कई उपयोग होते है जैसे की कोई पानी का प्लांट हो जिसमे पानी के फ्लो को नियंत्रित करने के लिए , किसी इंडस्ट्रीज में स्टीम लाइन में स्टीम को नियंत्रित करने में , खेत में सिंचाई करने में इत्यादि कई घरेलु उपयोग से लेकर औद्योगिक उपयोग में होता है। 

वाल्व के कितने प्रकार के होते है ?

वैसे तो वाल्व बहुत प्रकार के होते है लेकिन आज हम समझेंगे जो आमतौर पर उपयोग में आता है जैसे की –
 
> बॉल वाल्व  ( Ball Valve )
 
> चेक वाल्व  ( Check Valve )
 
> गेट वाल्व  ( Gate Valve )
 
> ग्लोब वाल्व  ( Globe Valve )
 
> सोलेनोइड वाल्व  ( Solenoid Valve )
 
> बटरफ्लाई वाल्व  ( Butterfly Valve )
 
> सेफ्टी वाल्व  ( Safety Valve )
 
> पिस्टन वाल्व  ( Piston Valve )
 
> नीडल वाल्व  ( Needle Valve )
 
> कण्ट्रोल वाल्व  ( Control Valve )
 
 
 
 

बॉल वाल्व  ( Ball Valve ) : 

बॉल वाल्व को 1/4 वाल्व भी कहते है इसके माध्यम से किसी तरल पदार्थ के प्रभाव को नियंत्रित या निर्देशित करने के लिए फ्लोटिंग बॉल का उपयोग किया जाता है इसीलिए हम इसे बॉल वाल्व कहते है। 
 
 
 
 
आमतौर पर बॉल वाल्व सिरेमिक और प्लास्टिक के धातु से बने होते है जिससे की ये जयादा टिकाऊ होता है और इसका उपयोग करना बेहद आसान होता है।
 
आमतौर पर बॉल वाल्व  900 बार तक के दबाव और 350 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान.को आसानी से झेल सकता है लेकिन ये निर्भर करता है इसका डिज़ाइन क्या है और किस मटेरियल से बना है।
 
 
 

चेक वाल्व  ( Check Valve ) :

चेक वाल्व को हम नॉन रिटर्निंग वाल्व या ओने वे वाल्व भी कहते है। आमतौर पर चेक वाल्व में  सिर्फ एक दिशा से तरल पदार्थ फ्लो होता है। 
इसमें दो पोर्ट होता है जिससे की एक पोर्ट से तरल पदार्थ अंदर आता है और दूसरे पोर्ट से तरल पदार्थ बहार जाता है। 
 
चेक वाल्व स्वतः काम करता है इसमें कोई बाहरी कण्ट्रोल की जरुरत नहीं होती है। और इसका उपयोग वह किया जाता है जहा प्रेशर और टेम्प्रेचर कम हो। 
 
जयादातर चेक वाल्व प्लास्टिक और मेटल का बना होता है और ये बहुत छोटा और सस्ता आता है। 
 
 
 

गेट वाल्व  ( Gate Valve ) :

गेट वाल्व को स्लुइस वाल्व भी कहा जाता है। इसका उपयोग आमतौर पर किसी तरल पदार्थ को नियंत्रित करने के बजे इसे बंद करने के लिए किया जाता है।
 
 
 
 
 
 
गेट वाल्व में जिस पोर्ट से तरल पदार्थ निकलता है उस पोर्ट में अबरोधक के रूप एक सर्कुलर गेट जैसा होता है जो तरल पदार्थ के प्रभाव को नियंत्रित करता है इसीलिए हम इसे गेट वाल्व कहते है। 
 
 
 

सोलेनोइड वाल्व  ( Solenoid Valve ): 

आजकल सोलेनोइड वाल्व सबसे जयादा उपयोग किया जाता है क्योंकि ये आसानी से  तरल पदार्थ को त्वरित रोक सकता है उसे मिक्स कर सकता है और जब जरुरत हो उसे छोर भी सकता है।
 
इसका डिज़ाइन बहुत ही कॉम्पैक्ट होता है जिससे की इसका लाइफ जयादा होता है और इसमें बहुत कम नियंत्रण शक्ति की आबसकता होती है। 
 
सोलेनोइड वाल्व आमतौर पर ब्रास , एल्युमीनियम , प्लास्टिक , Stainless Steel का बना होता है।
 
 

बटरफ्लाई वाल्व  ( Butterfly Valve ):

बटरफ्लाई वाल्व में एक डिस्क होती है जो घूमती रहती है जिससे की तरल पदार्थ को आसानी से नियंत्रित किया जाता है। 

इसका ऑपरेशन बॉल वाल्व के जैसा ही होता है लेकिन इसमें फ्लोटिंग बॉल की जगह पर डिस्क होता है। 

वो डिस्क बटरफ्लाई के जैसा होता है जो मेटल का बना होता है जो एक रोड से जुड़ा होता है। इसीलिए हम इसे बटरफ्लाई वाल्व कहते है। 

बटरफ्लाई वाल्व का जयादातर उपयोग केमिकल इंडस्ट्रीज और फार्मास्युटिकल्स इंडस्ट्रीज में होता है। बटरफ्लाई वाल्व का उपयोग सबसे पहले जेम्स वाट ने एक स्टीम इंजन में किया था। 

 

सेफ्टी वाल्व  ( Safety Valve ):

सेफ्टी वाल्व सबसे पहले स्टीम बायलर में उपयोग करने के लिए विकसित किया गया था।  

क्योंकि जब एक स्टीम बायलर स्टीम उत्पन्न करती है तो हम पहले से एक प्रेशर और टेम्प्रेचर सेट किये रहते है और जैसे ही बायलर उस प्रेशर और टेम्प्रेचर पर आता है स्वतः कट ऑफ हो जाता है या अलार्म देने लगता है। 

जिससे की किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके। 

सेफ्टी वाल्व का अविष्कार फ्रांस के वैज्ञानिक डेनिस पापिन ने किया था। 

 

पिस्टन वाल्व  ( Piston Valve ):

एक पिस्टन वाल्व एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग एक सिलेंडर के भीतर पिस्टन की रैखिक गति का उपयोग करके किसी ट्यूब या पाइप के साथ तरल पदार्थ की गति को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

इसका उपयोग जयादातर पीतल के उपकरण में किया जाता है। 

 

नीडल वाल्व  ( Needle Valve ):

ये एक ऐसा वाल्व है जिसमें एक सुई के आकार का प्लंजर होता है। जिससे की तरल पदार्थ के प्रभाव को सही से नियंत्रित किया जाता है। इसीलिए इसे हम नीडल वाल्व कहते है।

आम तौर पर नीडल वाल्व दूसरे वाल्व से कम प्रवाह दर के लिए ही उपयुक्त होता है। ये वाल्व  जयादातर  फ्लो-मीटरिंग उपयोग में किए जाते हैं। जैसे की स्टीम लाइन के फ्लो मीटर मे , कार्बोरेटर के फ्लो में इत्यादि। 

 

कण्ट्रोल वाल्व  ( Control Valve ):

एक नियंत्रण वाल्व एक ऐसा वाल्व है जिसमे तरल पदार्थ के आगमन वाला पोर्ट के आकर को नियंत्रित करके उसके प्रभाव को नियंत्रित किया जाता है।  
 
जैसे की किसी स्टीम लाइन में प्रेशर और टेम्प्रेचर को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे वाल्व में एक्यूरेसी काफी हद तक अच्छा होता है। 
 
 

Conclusion : आशा करता हूँ दोस्तों आपको Valve क्या है | Types of Valve | Working of Valve | इन सारे सवालों का जवाब आपको मिल गया होगा। 

यदि फिर भी आपके मन में कोई सवाल हो या कोई confusion हो तो कमेंट करके जरूर बताये।

और दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।

 

 

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