Extrusion क्या है ? Extrusion Process and Extrusion Types

नमस्कार दोस्तों ; प्लास्टिक का उपयोग हम दैनिक जीवन गतिविधि में बहुत प्रकार से करते है। 

जैसे की टॉयज , पाइप्स , tubes , ब्रश , वाटर जार , वाटर टैंक  इत्यादि , लेकिन क्या आपको पता है इसमें से बहुत ऐसा मटेरियल है जो एक्सट्रूजन प्रोसेस से बनता है। 

यदि आप प्लास्टिक इंडस्ट्रीज में कभी गए होंगे या प्लास्टिक इंडस्ट्रीज में काम करते होंगे तो आपने जरूर एक्सट्रूजन प्रोसेस देखा होगा।

लेकिन एक्सट्रूजन बहुत प्रकार के होते है , और एक्सट्रूजन प्रोसेस अलग अलग पहलु पर निर्भर करता है। 

इसिलए आज हम इस आर्टिकल में समझेंगे एक्सट्रूजन प्रोसेस क्या है , एक्सट्रूजन प्रोसेस के प्रकार और एक्सट्रूजन प्रोसेस के तकनीक के बारे में। 

 

तो आईये विस्तार से समझते है –

 

एक्सट्रूज़न क्या है ?

एक्सट्रूज़न एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे मेटल या वर्कपीस को रैम ( Piston or Plunger ) के द्वारा दबाब दिया जाता है ,और वर्कपीस डाई के माध्यम से हो कर गुजरता है। 

जिससे की वर्कपीस का क्रॉस सेक्शन को आसानी से कम करके उसे उपयोगी आकर दिया जाता है। 

एक्सट्रूजन प्रक्रिया आमतौर गर्म या ठंडे मटेरियल के साथ होती है , यदि एक्सट्रूजन गर्म मटेरियल के साथ होती है तो उसे हॉट एक्सट्रशन कहा जाता है।

और यदि ठन्डे मटेरियल के साथ होती है तो उसे कोल्ड एक्सट्रूजन कहा जाता है। 

 

एक्सट्रूजन के इतिहास

सबसे पहले सन 1797 में इंग्लैंड के जोसफ ब्रम्ह ने सॉफ्ट मेटल से पाइप बनाने के लिए एक्सट्रूजन प्रोसेस का उपयोग किया था। 

जिसमे compressive फाॅर्स अप्लाई करने के लिए हाथ से बना हुआ प्लंजर का उपयोग किया था। 

फिर सन 1820 में थॉमस बुर्र ने इसी प्रोसेस का इस्तेमाल हाइड्रोलिक प्रेस के साथ लीड पाइप बनाने के लिया किया था। 

 

एक्सट्रूजन प्रक्रिया

आमतौर पर एक्सट्रूजन प्रक्रिया मेटल प्रवाह की दिशा और तापमान पर निर्भर करता है। लेकिन जो सामान्य प्रक्रिया होती है वो एक साधारण मेटल फॉर्मिंग प्रोसेस होता है जिसमे compressive या shear stress उपयोग किया जाता है। 

इस प्रक्रिया में वर्कपीस के ऊपर compressive  force अप्लाई करने के लिए रैम (पिस्टन या प्लंजर ) का उपयोग किया जाता है। 

सबसे पहले वर्कपीस के आकर का बिलेट बनाया जाता है। आमतौर पर हॉट एक्सट्रूजन में ये बिलेट बहुत गर्म होता है और कोल्ड एक्सट्रूजन में हल्का गर्म होता है। 

फिर बिलेट को एक्सट्रूजन प्रेस में रखा जाता है उसके बाद पिस्टन या प्लंजर के द्वारा बिलेट के ऊपर compressive force अप्लाई किया जाता है।

जिससे पिस्टन और प्लंजर बिलेट को डाई के तरफ धकेलता है। जिससे की डाई के ओपनिंग फेज से ये बिलेट उपयोगी आकर में बहार निकलता है। 

 

एक्सट्रूजन के प्रकार

तापमान के अनुसार

तापमान के अनुसार एक्सट्रूजन मुख्यतः दो प्रकार के होते है , जो की इस प्रकार से है –

1.हॉट एक्सट्रूजन ( Hot Extrusion )

हॉट एक्सट्रूजन प्रोसेस सामान्यतः मटेरियल के  पुन: क्रिस्टलीकरण तापमान से ऊपर किया जाता है जो इसके पिघलने के तापमान का लगभग 50-70% तक होता है। 

जिससे की मटेरियल हार्ड नहीं होता है और डाई के तरफ धकेलने में आसानी होती है। 

इसमें काम फाॅर्स की जरुरत होती है लेकिन इसमें हैवी मशीनरी का जरुरत होता है जो की महंगा होता है और मेंटेनेंस कॉस्ट भी जयादा आता है। 

 

2.कोल्ड एक्सट्रूजन ( Cold Extrusion )

कोल्ड एक्सट्रूजन प्रोसेस सामान्यतः मटेरियल के  पुन: क्रिस्टलीकरण तापमान से निचे किया जाता है या रूम टेम्प्रेचर के ऊपर किया जाता है। 

इसमें हॉट एक्सट्रूजन के मुकाबले कम फाॅर्स की जरुरत होती है , और मेंटेंनेस कॉस्ट भी कम आता है। 

इसका उपयोग सामान्यतः लीड , तीन , स्टील , एलुमिनियम , इत्यादि मटेरियल से आग बुझाने वाली cases , शॉक अब्सॉरबर cases इत्यादि जैसी प्रोडक्ट्स बनाने के लिया किया जाता है। 

 

मेटल प्रवाह की दिशा के अनुसार

मेटल प्रवाह की दिशा के अनुसार एक्सट्रूजन मुख्यतः तीन प्रकार के होते है , जो की इस प्रकार से है –
 
1.डायरेक्ट एक्सट्रूजन ( Direct Extrusion )

डायरेक्ट एक्सट्रूजन में वर्कपीस को पिस्टन या प्लंजर के डाई के दिशा में धकेलता है।

इसमें बिलेट और कंटेनर के बीच उच्च घर्षण होता है जिससे की इस प्रोसेस में बहुत जयादा फाॅर्स की जरुरत होती है। 

 
2.इन डायरेक्ट  एक्सट्रूजन ( Indirect Extrusion )

इन डायरेक्ट एक्सट्रूजन में वर्कपीस को पिस्टन या प्लंजर के डाई के विपरीत दिशा की ओर प्रवाहित होती है।

डाई को पंच मूवमेंट के विपरीत दिशा में फिट किया जाता है, इसीलिए इसमें बहुत कम फाॅर्स की जरुरत होती है।

 
3.हाइड्रोस्टेटिक एक्सट्रूजन ( Hydrostatic Extrusion )

इस प्रोसेस में  जहां बिलेट डाई के साथ कांटेक्ट करता है उस क्षेत्र के अलावा बाकि के सभी क्षेत्र pressurized  लिक्विड से घिरा रहता है।

इसमें डायरेक्टली प्लंजर बिलेट पर फाॅर्स ना लगाकर द्रव पर बल लगाता है जो आगे बिलेट पर लागू होता है।

आमतौर पर द्रव्य के रूप में वनस्पति तेल का उपयोग किया जाता है।

हाइड्रोस्टेटिक एक्सट्रूजन प्रोसेस में लीकेज का समस्या रहता है।

 

एक्सट्रूजन का उपयोग

  • एक्सट्रूजन का उपयोग tubes , होलो पाइप्स के उत्पादन में जयादा होता है। 
  • एलुमिनियम एक्सट्रूजन के द्वारा विंडो , दूर , फ्रेम के उत्पादन में 
  • फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज में जैसे की पास्ता , फ्रेंच फ्राई , बेबी फ़ूड , पेट फ़ूड इत्यादि। 
  • प्लास्टिक इंडस्ट्रीज में जैसे की tubes , पाइप्स , रेल , शीट्स इत्यादि। 
  • ड्रग इंडस्ट्रीज में 
  • ऑटोमोटिव इंडस्ट्रीज में 

 

एक्सट्रूजन के लाभ

  • एक्सट्रूजन प्रोसेस से जटिल क्रॉस सेक्शनल एरिया के ऊपर काम करके आसानी से उपयोगी आकर दिया जा सकता है
  • इस प्रोसेस की मदद से नाजुक और कोमल वस्तु को भी आसानी से उपयोगी आकार दिया जा सकता है।
  • इस प्रोसेस के द्वारा उच्य यांत्रिक गुण पाया जा सकता है। 

एक्सट्रूजन के हानि

  • इस प्रोसेस में हैवी मशीनरी की जरुरत होती है 
  • शुरू में setup के लिए जयादा कॉस्ट आता है 
  • मेंटेंनेस कॉस्ट जयादा होता है।

 

Conclusion: दोस्तों आज हमने एक्सट्रूजन क्या है, एक्सट्रूजन प्रक्रिया और एक्सट्रूजन तकनीक के बारे में समझा।

यदि एक्सट्रूजन से सम्बंधित कोई और प्रश्न या सुझाव हो तो हमारे साथ जरूर शेयर करे।

और हाँ दोस्तों आज का आर्टिकल कैसा लगा कमेंट कर के जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करे।

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