नमस्कार दोस्तों ; आज हम एक ऐसे कूलिंग प्रोसेस को समझेंगे जो जयादातर दैनिक आवश्यकता में आती है। आपके घर हो या ऑफिस वहां AC या रेफिजरेटर होता ही है।
जब भी हमे गर्मी लगती हम AC को चालू कर देते है और कुछ ही देर बाद हमे ठंडा महसूस होने लगता है लेकिन कभी आपने सोचा है इतना जल्दी ये सब कैसे हो जाता है।
आमतौर पर हमारे रेफ्रिजरटर हो या घर का एक सभी में ठंडा करने के लिए कंडेंसर होता है , जो कंडेंसशन के विधि से ठंडा करता है।
इसीलिए ये जानना जरुरी हो जाता है की कंडेंसर क्या है , कंडेंसर कैसे काम करता है और ये कितने प्रकार के होते है।
तो आईये समझते है –
कंडेंसर क्या है ?
कंडेंसर को हम एक heat exchanger कह सकते है जो एक गैसीय पदार्थ को ठंडा करके एक तरल अवस्था में संघनित करता है।
जिससे की उस गैसीय पदार्थ का latent heat बहार निकल जाती है और आसपास के वातावरण में स्थानांतरित हो जाती है। जैसे की आप अपने घर के रेफ्रीजिरेटर और AC में देखे होंगे।
कंडेंसर का उपयोग जयादातर इंडस्ट्रीज के हीट रिजेक्शन सिस्टम में होता है जैसे की स्टीम पावर प्लांट , केमिकल इंडस्ट्रीज , एयर रेफ्रिजरेशन सिस्टम इत्यादि।
सबसे पहले सन 1771 में स्वीडिश जर्मन रसायनज्ञ क्रिश्चियन वीगेस ने काउंटर फ्लो कंडेंसर का आविष्कार किया था।
संचालन का सिद्धांत :
वाष्प आमतौर पर दूसरे द्रव के ऊपर के तापमान पर कंडेंसर में प्रवेश करता है। जैसे ही वाष्प ठंडा होता है, यह संतृप्ति तापमान तक पहुँच जाता है और तरल में संघनित हो जाता है और बड़ी मात्रा में latent heat छोड़ता है।
जैसे-जैसे यह प्रक्रिया कंडेंसर के साथ होती है, वाष्प की मात्रा काम होते जाती है और द्रव की मात्रा बढ़ती जाती है और अंत में कंडेंसर के आउटलेट पर सिर्फ द्रव्य बच जाता है।
कंडेंसर के आउटलेट पर फ़िल्टर होता है जिससे ये द्रव्य गुजरता है और ये प्रोसेस चलता रहता है।
कंडेंसर के द्वारा कूलिंग प्रक्रिया दूसरे कलिंग प्रक्रिया जिसमे sensible heat का उपयोग किया जाता हो उसके अपेक्षा ये जयादा एफ्फिसिएंट होते है क्योंकि इसमें हीट ट्रांसफर latent heat के साथ होता है जिससे की working fluid का टेम्प्रेचर हमेशा एक जैसे रहता है।
कंडेंसर के प्रकार :
कंडेंसर सामान्यतः 3 प्रकार के होते है जो की इस प्रकार से है –
- एयर कूल्ड कंडेंसर ( Air cooled condenser )
- वाटर कूल्ड कंडेंसर ( Water cooled condenser )
- बाष्पीकरणीय कंडेंसर ( Evaporative condenser)
एयर कूल्ड कंडेंसर ( Air Cooled Condenser )
एयर कूल्ड कंडेंसर एयर के द्वारा ठंडा करता है इसका सबसे अच्छा उदाहरण घर का रेफ्रीजिरेटर है जिसमे कंडेनसर बाहर की ओर गर्मी निकालता है।
एयर कूल्ड कंडेंसर सबसे आसान कॉन्डेसर के प्रकार में से है क्योंकि इसे आप आसानी से साफ सुथरा रख सकते है। जिससे की इसका performance में लगतार स्थिरता होता है।
वाटर कूल्ड कंडेंसर (Water cooled condenser)
वाटर कूल्ड कंडेंसर में पानी के द्वारा ठंडा किया जाता है इसका सबसे जयादा उपयोग स्विमिंग पूल में किया जाता है।
वाटर कूल्ड कंडेनसर को हमेशा पानी की जरुरत होती है और इसमें पानी बचाने के लिए कूलिंग टॉवर की भी आवश्यकता होती है।
वाटर कूल्ड कंडेंसर सबसे जयादा उपयोग किया जाने वाला विधि में से है क्योंकि ये दूसरी कंडेंसर के अपेक्षा थोड़ा सस्ता होता है।
बाष्पीकरणीय कंडेंसर (Evaporative condenser)
ये एक ऐसा कॉन्डेसर है जो पानी और हवा दोनों द्वारा ठंडा करता है इसका उपयोग वहां होता है जहा पानी की आपूर्ति अपर्याप्त होता है या कंडेंसशन टेम्प्रेचर कम हो जो एयर कूल्ड कंडेनसर द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
ये जयादातर HVAC में उपयोग किया जाता है। ये उतना efficient नहीं होता है इसीलिए इसका उपयोग बहुत कम होता है।
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Conclusion: दोस्तों आज हमने समझा कंडेंसर क्या है , कंडेंसर कैसे काम करता है और कंडेंसर के प्रकार।
यदि फिर भी कंडेंसर से सम्बंधित कोई प्रश्न या सुझाव हो तो हमारे साथ जरूर शेयर करे।
और हाँ दोस्तों आज का आर्टिकल कैसा लगा कमेंट कर के जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ अवश्य शेयर करे।
Very good sir…bhaut axxa samjhaya apne
Why do we connect the condenser pumps at the inlet of the condenser while the outlet goes to the cooling tower in a water cooled condenser?
And the cooling tower installed on terrace of building