Cooling Tower क्या है ? ये कैसे काम करता है ?

नमस्कार दोस्तों; आपने जरूर कूलिंग टावर देखे होंगे या आप कूलिंग टावर के बारे में जानते होंगे क्योंकि कूलिंग टावर बहुत जगह देखने को मिल जाता है जैसे की पावर प्लांट, रिफाइनरी प्लांट , डिस्टिलरी प्लांट , राइस मील्स , शुगर मिल्स इत्यादि।

पावर प्लांट या कोई भी बड़ा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में कूलिंग टावर एक स्पेशल इकाई होता है।

यदि आप मैकेनिकल फील्ड से जुड़े है या मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र है तो आपके लिए ये आर्टिकल रोचक हो सकता है।

इसीलिए आज हम इस आर्टिकल में समझेंगे कूलिंग टावर क्या होता है , ये कैसे काम करता है और ये कितने प्रकार के होते है। 

 

 

तो आईये विस्तार से समझते है –

 

कूलिंग टावर क्या होता है?

कूलिंग टावर एक ऐसा उपकरण है जो सामानयतः कूलिंग के काम आता है इसमें हम गरम पानी को ठंडा करते है कूलिंग टावर में पानी ठंडा करने के लिए सामानयतः वाष्पीकरण प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।

वाष्पीकरण प्रक्रिया का मतलब होता है जब हम किसी लिक्विड को वेपर में बदलते है उस प्रक्रिया को हम वाष्पीकरण प्रक्रिया कहते है।

कूलिंग टावर का आकर सामान्यतः नोजल के जैसे होता है। जो जयादातर कंक्रीट से बना होता है।

बड़े कूलिंग टॉवर आमतौर पर बिजली संयंत्रों, पेट्रोलियम रिफाइनरियों और विभिन्न निर्माण सुविधाओं जैसे उद्योगों में उपयोग किए जाते हैं

 

कूलिंग टॉवर का घटक:

फिल्स ( Fills )

कूलिंग टॉवर का फिल्स  मुख्य हीट ट्रांसफर एरिया होता है जहा गर्म पानी ठंडी हवा से टकराती है। 

ये आमतौर पर दो तरह के होते है स्प्लैश फिल्स और फिल्म फिल्स। सामान्य रूप से ये पीवीसी, पॉलीप्रोपाइलीन या लकड़ी से बना होता है।

ड्रिफ्ट एलिमिनेटर ( Drift Eliminator ) 

ड्रिफ्ट इलिमिनेटर का उद्देश्य कूलिंग टॉवर में बहाव के नुकसान को कम करना है। आम तौर पर ये फिल्स के बाद होता है। ड्रिफ्ट एलिमिनेटर सामान्य रूप से पीवीसी से बना होता है।


कोल्ड वाटर बेसिन ( Cold Water Basin ) 

ये बेसिन सामान्य रूप से सीमेंट कंक्रीट (RCC) से बना होता है। ये आमतौर में दो कार्य करता है पहला टॉवर से ठंडे पानी को इकट्ठा करना और भंडारण के रूप में कार्य करना और दूसरा ये एक मजबूत नींव का भी काम करता है।


कूलिंग टावर फैन ( Cooling Tower Fan ) 

ये कूलिंग टॉवर का मुख्य कॉम्पोनेन्ट होता है। कूलिंग टॉवर के पंखे सामान्य रूप से एल्यूमिनियम, फाइबर से बनाए जाते हैं। 

इसका इम्पेलर्स ,ग्लास फाइबर या एफआरपी का बना होता है क्यूंकि एफआरपी वजन में हल्का होता है, जिससे बिजली की जरूरतों को कम करता है।

आम तौर पर गर्मियों के मौसम के दौरान वायु का घनत्व कम होता है। तो पंखे की क्षमता को बढ़ाने के लिए फैन ब्लेड का पिच एंगल बढ़ाया जाता है। 


नोजल ( Nozzle ) 

प्लास्टिक का उपयोग व्यापक रूप से नोजल के लिए किया जाता है। कई नोजल पीवीसी, एबीएस, पॉलीप्रोपाइलीन और ग्लासफिल्ड नायलॉन से बने होते हैं। 

नोजल का उपयोग कूलिंग टॉवर के सेल के अंदर गर्म पानी को स्प्रे करने के लिए किया जाता है। 

 

Nozzle क्या है ?

 

कूलिंग टॉवर कैसे काम करता है ?

कूलिंग टॉवर में एक विशेष प्रकार का हीट एक्सचेंजर होता है जिसके अंदर पानी और हवा को गर्म पानी के तापमान को कम करने के लिए एक दूसरे के संपर्क में आते है। 

इस प्रक्रिया के दौरान, पानी के छोटा ड्राप लेट वाष्पित हो जाता हैं, जिससे पानी का तापमान कम हो जाता है।

औद्योगिक प्रक्रियाओं या  HVAC के कारन जो हमारा गरम पानी होता है वो सीधे पंप के मदद से कूलिंग टावर के इनलेट से कूलिंग टावर में आता है। 

कूलिंग टावर के इनलेट में सिलेंड्रिकल आकर में एक रोड होता है जिसमे नोज़ल होता है जो पानी का प्रवाह को बहुत काम कर देता है जिससे की हवा और पानी का संपर्क अच्छा हो।  

जब हवा पानी एक साथ संपर्क में आता है तो पानी छोटा ड्राप लेट वाष्पित हो जाता है जिससे की कूलिंग की क्रिया शुरू हो जाता है।

हवा को कूलिंग टावर फैन खिछता रहता है ये हवा का खींचने के लिए एयर पासेज बना होता है जो कोल्ड वाटर बेसिन के ऊपर साइड से होता है। ये प्रक्रिया चलती रहती है और पानी ठंडा होते रहता है। 

 

 

कूलिंग टॉवर के प्रकार

प्राकृतिक ड्राफ्ट कूलिंग और मैकेनिकल ड्राफ्ट कूलिंग टावर्स

प्राकृतिक ड्राफ्ट कूलिंग टॉवर मुख्यतः दो प्रकार के होते है स्प्रे टाइप और स्प्लैश डेक टाइप।

 
स्प्रे टाइप ( Spray Type )

स्प्रे टाइप के कूलिंग टॉवर को एक बॉक्स के आकार की संरचना के अंदर रखा जाता  है जिसमें स्प्रे हेडर, नोजल और लाउवर होता है । 

लॉवर्स आमतौर पर स्टील से बने होते हैं और कूलिंग टॉवर के अंदर हवा को बढ़ाता है। 

ये आमतौर पर किसी बिल्डिंग्स या किसी हाउसिंग के बाहर, लगाया जाता है जिससे की टॉवर के माध्यम से हवा आसानी से गुजर सके।


स्प्लैश डेक टाइप ( Splash Deck Type )

स्प्लैश डेक टाइप कूलिंग टॉवर स्प्रे टाइप कूलिंग टावर से बहुत मिलता-जुलता है, लेकिन इसमें पानी के बॉक्स का इस्तेमाल होता है, इस प्रकार का कूलिंग टॉवर अधिक प्रभावी होता है। 

मैकेनिकल ड्राफ्ट कूलिंग टावर्स

मैकेनिकल ड्राफ्ट कूलिंग टावर्स , प्राकृतिक ड्राफ्ट कूलिंग टॉवर के समान होता है। 

लेकिन जैसा कि नाम से पता चलता है, पूरे टॉवर में हवा प्रसारित करने के लिए यांत्रिक उपकरण का उपयोग किया जाता है जैसे की प्रोपेलर फैन या सेन्ट्रीफ्यूगल फैन। 

मैकेनिकल ड्राफ्ट टावर्स प्राकृतिक ड्राफ्ट टावरों की तुलना में अधिक प्रभावी होता है । 

लेकिन , इसका  प्राकृतिक ड्राफ्ट कूलिंग टावरों की तुलना में  बिजली और मेंटेनेंस खर्च जायदा होता है।

मैकेनिकल ड्राफ्ट कूलिंग टॉवर मुख्यतः दो प्रकार  के होते है :

काउंटरफ्लो ( Counterflow ) 

इस प्रकार के कूलिंग टॉवर में अलग-अलग डिज़ाइन के होते हैं जिसमें हवा को ऊपर की ओर से  निर्देशित किया जाता है।

क्रॉसफ्लो ( Crossflow ) 

इसमें हवा को क्षैतिज रूप से निर्देशित किया जाता है।

 

👉Condenser क्या है ? Condenser कितने प्रकार के होते है ?

👉 Heat Pump क्या है ? यह कैसे काम करता है ?

👉 Valve क्या है | Types of Valve | Working of Valve |

👉 Flanges क्या है | Flanges के प्रकार  |

 
 
Conclusion:आशा करता हूँ दोस्तों आपको कूलिंग टावर क्या होता है ? ये कैसे काम करता है ? इसके प्रकार समझ आ गया होगा

यदि फिर भी आपके मन में कोई सवाल हो या कोई confusion हो तो कमेंट करके जरूर बताये। 

और हमारा आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। 

8 thoughts on “Cooling Tower क्या है ? ये कैसे काम करता है ?”

  1. Sir cooling tower water temperature Kam nahi kar raha hai aur aur chillar ka temperature bhi jyada a raha hai jisse ki area ka temperature 35-40 Dhaka a raha hai please help me

  2. Sir cooling tower water temperature Kam nahi kar raha hai aur aur chillar ka temperature bhi jyada a raha hai jisse ki area ka temperature 35-40 Dhaka a raha hai please help me

  3. Sir mai steel and power pant me job karta hu 30 mw ka plant hai.mechanical forced draft cooling tower hai 1480 full rpm hai 3 shell hai 3 ka rpm 1480 par halta hai pur water temperature 30° inlet or 42° outlet chalta hai mujhe temperature kam karne ke liye kya karna chahiye

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