सेल्फ ड्राइविंग कार क्या है ? सेल्फ ड्राइविंग कार कैसे चलती है ?

नमस्कार दोस्तों ; सड़क दुर्घटना डाटा के हिसाब से हमारे देश में रोज करीब 1275 आदमी का मृत्यु होता है।
 
आमतौर पर रोड एक्सीडेंट होने के मुख्य कारन हमारा व्हीकल का संतुलन बिगड़ना होता है। 
 
यदि हम अपने संतुलन में व्हीकल ड्राइव करे तो ये आकरा बहुत कम हो सकता है।
 
आज हम एक ऐसी व्हीकल के बारे में समझेंगे जो बिना ड्राइवर ( Driverless) चल सकता है और इसमें कण्ट्रोल और सेफ्टी भी हाई लेवल की होती है। 
 
 
तो आईये समझते है –


सेल्फ ड्राइविंग कार क्या है ?

सेल्फ ड्राइविंग कार एक ऐसा कार होता है जो आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स की मदद से चलती है। इसे ड्राइवरलेस कार या रोबोट कार के रूप में भी जाना जाता है।

अब आपके मन में आया होगा की आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस क्या होता है ?

आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स का मतलब होता है कंप्यूटर प्रणालियों का सिद्धांत जो सामान्य रूप से मानव बुद्धि की आवश्यकता वाले कार्यों को करने में सक्षम हो।

सेल्फ ड्राइविंग कार में कई प्रकार के सेंसर होती हैं, जैसे कि रडार, लिडार, सोनार, जीपीएस, ओडोमेट्री ,आदि।

सेल्फ ड्राइविंग सिस्टम का प्रयोग 1920 से ही चल रहा है। जापान में त्सुकुबा मैकेनिकल इंजीनियरिंग प्रयोगशाला द्वारा 1977 में पहली अर्ध-स्वचालित कार विकसित की गई थी। 

अभी कुछ कार कंपनी है जो अपने लास्ट ट्रायल में है जैसे की टेस्ला ,वायमो,निसान, फोर्ड आदि। 

सेल्फ ड्राइविंग कार कैसे चलती है?

सेल्फ ड्राइविंग कार में सॉफ्टवेयर होते है ये सॉफ्टवेयर सही से काम करने के लिए सेंसर, एक्ट्यूएटर्स, एल्गोरिदम, मशीन लर्निंग सिस्टम और हैवी प्रोसेसर पर निर्भर करती हैं।

सेल्फ ड्राइविंग कार के विभिन्न भागों में  विभिन्न प्रकार के सेंसर होते है जिस आधार पर ये सेंसर अपने परिवेश के मानचित्र का निर्माण और इसका रख रखाव करती हैं। 

रडार सेंसर (Radar Sensor)

रडार सेंसर आसपास के वाहनों की स्थिति की निगरानी करता है। वीडियो कैमरे ट्रैफिक लाइट, सड़क के सिगनल, अन्य वाहनों को ट्रैक करता है और पैदल चलने वालों की पता लगाने में मदद करता है।

लिडार सेंसर (Lidar Sensor)

लिडार सेंसर एक प्रकार का लाइट का पता लगाने वाला सेंसर होता है  इस सेंसर की मदद से दूरी मापने में आसानी होती है ,सड़क का किनारों का पता लगाने और लेन चिह्नों की पहचान करने में मदद मिलता है।

अल्ट्रासोनिक सेंसर ( Ultrasonic Sensor)

अल्ट्रासोनिक सेंसर पहियों में लगा होता है जिससे की पार्किंग करने में मदद मिलता है और यदि आगे पीछे कोई वाहन हो तो उसे पता लगाना आसान हो जाता है। 

सेल्फ ड्राइविंग कार का सॉफ्टवेयर तब इस सभी इनपुट को संसाधित करता है, और कार के एक्ट्यूएटर्स को निर्देश भेजता है, जो त्वरण, ब्रेकिंग और स्टीयरिंग को नियंत्रित करता है। 

हार्ड-कोडेड सॉफ्टवेयर ट्रैफिक नियमों का पालन करने और यदि कोई प्रॉब्लम आये तो उसे दूर करने में मदद करता है।

ऑटोमोटिव इंजीनियर्स सोसायटी (एसएई) वर्तमान में लेवल 0 (पूरी तरह से मैनुअल) से लेवल 5 (पूरी तरह से ऑटोमेशन ) तक ड्राइविंग के 6 स्तरों को परिभाषित किया है।

अब आप सोच रहे होंगे की ये ऑटोमोटिव इंजीनियर्स सोसायटी (एसएई) और लेवल किया होता है ?

 

ऑटोमोटिव इंजीनियर्स सोसायटी (SAE)

एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स का एक सोसाइटी है जो लगभग पूरी दुनिया में ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग के मानकों के विकास पर काम करता है। 

ऑटोमोटिव इंजीनियर्स सोसायटी ने सेल्फ ड्राइविंग ऑटोमेशन को 6 लेवल में निर्धारित किया है जो इस प्रकार से है :-

 
लेवल 0 (कोई ऑटोमेशन नहीं ) -इसमें कोई भी ऑटोमेशन नहीं  होता है इसमें ड्राइवर चलाते है। 

लेवल 1 (ड्राइवर असिस्टेंस ) -इसमें ड्राइवर को कुछ सिस्टम में मदद मिलता है या तो स्टीयरिंग या फिर एक्सेलरेशन / डेक्सेलेरशन ” में

लेवल 2 (आंशिक स्वचालन)- इसमें ड्राइवर को दोनों सिस्टम स्टीयरिंग और एक्सेलरेशन / डेक्सेलेरशन ” में  मदद मिलता है।

लेवल 3 (सशर्त स्वचालन) -इसमें दोनों सिस्टम स्टीयरिंग और एक्सेलरेशन / डेक्सेलेरशन अपने आप चलता है लेकिन इसे ड्राइवर द्वारा मॉनिटर किया जाता है। 

इसे ड्राइवर चाहे तो सुरक्षित रूप से अपना ध्यान ड्राइविंग कार्यों से हटा सकता है, जैसे की ड्राइवर एक फिल्म देख सकता है। 

वाहन उन स्थितियों को संभाल लेगा जो तत्काल प्रतिक्रिया के लिए कॉल करते हैं, जैसे आपातकालीन ब्रेकिंग।

लेवल 4 ( उच्च स्वचालन ) -इसमें भी ड्राइवर द्वारा मॉनिटर किया जाता है ,लेकिन सुरक्षा के लिए किसी भी ड्राइवर का ध्यान कभी भी आवश्यक नहीं है, जैसे की ड्राइवर सुरक्षित रूप से सो भी सकता है या ड्राइवर की सीट छोड़ भी सकता है। 

जैसे की एक रोबोट टैक्सी या एक रोबोट डिलीवरी सेवा जो केवल एक विशिष्ट क्षेत्र में अपना काम कर सकती है। 

लेवल 5 (पूर्ण स्वचालन )- इसमें कोई भी ड्राइवर नहीं होता है जैसे की रोबोट टैक्सी जो किसी भी मौसम में और कही भी चल सकता है। 

 

दोस्तों आपको ये अब ये समझ आ गया होगा की सेल्फ ड्राइविंग कार क्या है और ये कैसे काम करता है।

लेकिन अब आपके मन में ये आ रहा होगा की ये इंडियन मार्केट में कब आएगा या फिर कोई इंडियन ऑटोमोबाइल कंपनी है जो इसपर काम कर रही है या नहीं !

तो दोस्तों कुछ दिन पहले ही रोड ट्रांसपोर्ट & हाईवे मंत्री नितिन गडकरी जी ने कहा था की अभी सेल्फ ड्राइविंग कार को इंडिया में अनुमति नहीं मिलेगा क्यूंकि अभी हमारे पास उतना अच्छा इंफ्रास्ट्रक्टर नहीं है।

लेकिन दुनिया में बहुत कंपनी है जो सेल्फ ड्राइविंग कार बनाने में लगी हुई है जिसमे ये कंपनी शामिल है : 

टॉप 5 सेल्फ ड्राइविंग कार कंपनी

1.Tesla ( US )

2.Baidu ( CHINA )

3.Waymo ( US )

4.GM Cruise ( US )

5.Argo ( US )

Conclusion:मैं आशा करता हूँ दोस्तों आपको सेल्फ ड्राइविंग कार क्या है ? ये कैसे चलती है ? ये सारे सवाल का जवाब आपको मिल गया होगा। 

यदि फिर भी आपके मन में कोई सवाल हो या कोई confusion हो तो कमेंट करके जरूर बताये। 

और हमारा आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताये और अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे। 

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